आरा चेहलुम के शोधपूर्ण मौके पर हज़रत इमाम हुसैन की याद मे मातमी जुलूस के साथ ताज़िया निकाला गया। ईश्वरीय दूत पैग़म्बर मुहम्मद (स•) के नवासे हज़रत इमाम हुसैन और उनके साथियो के साथ कुल 72 लोगो को आशूर (10, मुहर्रम) को बहुत बेदर्दी से कर्बला मे शहीद किया गया था। आज उनकी शहादत के 40 दिन पर उनका चेहलुम पूरी दुनिया मे मनाया जा रहा है। ये मातमी जुलूस आरा शहर में अब्बास मार्केट, निकट गोपाली चौक, आरा स्थित इमामबाड़ा से लगभग 3.30 बजे दिन मे निकलकर धर्मन चौक, डीन्स टैंक, टाउन थाना, पुरानी पुलिस लाइन होते हुए छोटी कर्बला, मौला बाग में जाकर समाप्त हुआ। आरा शहर में यह जुलूस निकलने की परम्परा लगभग 200 वर्ष पुरानी है। इसमें कर्बला मे हज़रत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत को याद करके नौहा पढ़ा जाता है और मातम किया जाता है। शिया समाज के लोग विशेषकर काला वस्त्र पहनकर इस शोकपूर्ण घटना की याद में मातम, नौहा करते हुए शोक मनाते है।
सभी समुदाय के लोग भी इस शोकपूर्ण घटना की याद में जुलूस के साथ शामिल रहते हुए अपना भरपूर सहयोग करते हैं।
इस जुलूस मे सैयद अली हुसैन, सैयद वारिस बिलग्रामी, सैयद रेयाज हुसैन, सैयद शादाब हुसैन ने नौहा पढ़ा। सैयद रेयाज हुसैन ने नौहा पढ़ा जिसकी पंक्तियाँ इस प्रकार हैं:-
“चेहलुम करो हुसैन का आओ हुसैनियो”
“मिट्टी अज़ीज़ करती है एक ख़स्ता तन को आज”
“तुर्बत नसीब होती है एक बेकफ़न को आज”
जुलूस में सैयद शब्बीर हसन, प्रो• सैयद एजाज़ हुसैन, डा• कौनैन रज़ा, सैयद मेहदी हसन, यावर हुसैन, सैयद वासिफ़ अली, सैयद अकील हैदर, सैयद क़मर हैदर, सैयद अबरार हुसैन, सैयद नासिर हसन, सैयद दिलशाद हसन, सैयद आदिल बिलग्रामी, गुड्डु अंसारी, मुख्तार अहमद, आदि अन्य लोग शामिल थे। जुलूस में “सर्व-धर्म हुसैनी एकता समाज” की तरफ़ से ओम प्रकाश “मुन्ना”, महफूज़ आलम, अब्दुल वहाब, वीर बहादुर आदि का इसके संचालन में महत्वपूर्ण योगदान रहा। प्रशासन की ओर से जुलूस की देख रेख में अच्छी व्यवस्था रखी गई। मिडिया कर्मी बन्धुओं द्वारा इसकी लाईव कवरिंग लगातार की गई, जो कि प्रशंसनीय है।