रोहतास । मिथलेश कुमार। कोरोना का संक्रमण जैसे जैसे रोहतास जिले में पैर पसार रहा है,वैसे वैसे प्रशासन के हाथ पांव फूल रहे है। इसी बीच रोहतास जिले में तैनात सीआरपीएफ की 47 वी बटालियन अपने कर्तव्यो का पालन पूरी तैयारी से कर रही है । बटालियन पहाड़ी ग्रामीण इलाकों को सेनिटाइज के साथ साथ गरीब लोगों को राहत सामग्री भी पहुचा रही है ।
सीमा पर सीआरपीएफ कर रही ड्रोन से निगरानी



सोन नदी में इन दिनों जल स्तर कम हों जाने पर पड़ोसी राज्यो झारखंड,यूपी छतीसगढ़ के लोग चुपके से रोहतास के सीमा में प्रवेश कर जा रहे है जिससे सीमावर्ती गाँवो के लोगो मे भय के साथ तनाव की स्थिति बनती जा रही है । जिससे भी निपटने के लिए 47 वी बटालियन के जवान स्थानीय पुलिस प्रशासन के साथ मिल कर सीमा की निगरानी कर रहे है । कल 6 लोगो को रोहतास के सीमा में प्रवेश करते वक्त सीआरपीएफ के द्रारा पकड़ा गया । ये लोग मध्य प्रदेश छतीसगढ़ झारखंड एवम यूपी में दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करते थे । फिर उन्हें थर्मल स्क्रिनिग कर क्वरोटाइन किया गया है । साथ ही साथ ड्रोन कैमरा की मदद से भी निगरानी कि जा रही है ।
जरूरतमंदों के बीच पहुंची सीआरपीएफ,बांटी राहत सामग्री



कैमूर पहाड़ी पर बसे गाँवो में जरूरतमंदों के बीच सीआरपीएफ की की तरफ से राहत सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है साथ ही साथ ड्रोन कैमरे से यूपी- बिहार की सीमा की निगरानी की जा रही है। स्थानीय लोगो को घर मे रहने के अलावा कोरोना वायरस से सजग एवं सोशल डिस्टेनसिंग के बारे में आवत कराया जा रहा है । सीआरपीएफ इस समय पहाड़ी सुदूर इलाको के लिए किसी देवदूत से कम नही है ।
बिहार का लाल कोरिडोर बना अब ग्रीन कॉरिडोर



विदित हो कि कभी रेड जोन के नाम से जाने जाने वाला रोहतास कैमूर की पहाड़ी कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था वही आज सरकार और सीआरपीएफ एसटीएफ और जिला पुलिस के सहयोग से इस पहाड़ी को लाल कोरिडोर से ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया और यहां नक्सलियों के साम्राज्य को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया अगर इसका क्षेत्रफल देखा जाए तो पहाड़ी क्षेत्रों में बिहार उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा को जोड़ता है वही सोन नद को पार कर झारखंड राज्य को जोड़ता है इसी वजह से यह पहाड़ी कभी नक्सलियों का केंद्र माना जाता था और यहां नक्सलियों के केंद्रीय कमेटियों की बैठक व शरणस्थली मानी जाती थी। नक्सलियों का सेफ जोन इसलिए भी था कि जब बिहार पुलिस नक्सलियों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए पहाड़ी पर छापेमारी करती थी तो यह उत्तर प्रदेश की तरफ चले जाते थे और जब उत्तर प्रदेश की पुलिस चढ़ाई करती थी तो मध्य प्रदेश की तरफ अपना रुख मोड़ लेते थे और वही सोन नदी को पार कर झारखंड राज्य में प्रवेश कर जाते थे इसी कारण से यह रोहतास कैमूर की पहाड़ी नक्सलियों के लिए सेफ जोन मानी जाती थी।
क्या कहते है डिप्टी कमान्डेंड सुभष चंद्र झा
डिप्टी कमान्डेंट सुभाष चन्द्र झा ने बताया कि सीआरपीएफ 47 वी बटालियन हमेसा ही लोगो की सेवा करती आ रही है।कोविड 19 महामारी को देश झेल रहा है । इस महामारी के दौर में हमारी बटालियन काफी अच्छे तरीके से अपना कार्य कर रही है ।