


एहसास I आज हर तरफ मदरर्स डे यानी मातृ दिवस मनाया जा रहा हालांकि मॉ के लिए कोई एक दिन नही होता बल्कि मॉ रहे या ना रहे उसका सुखद एहसास हर पल बरकरार रहता है।’मॉ’ छोटा से यह एक ऐसा शब्द है जिसक एहसास मै शायद ही कभी भूल सकता। मुझे आज भी वो दिन आते है जब मॉ एक हाथ में चाय तो दूसरे हाथ में पानी का ग्लास लेकर मुझे निंद से जगाया करती थी।आज दशक हो गए मुझे अपने घर से बाहर रहते हूए,साल में घर भी जाता हूं चुकि मॉ का प्यार कभी कम नही होता, मुझे आज भी उठाने आती है लेकिन वो दिन आज भी मुझे याद आता है। जीवन एक ऐसे मोड़ पर आ चुका है कि अब मेंरी निंद मॉ नही खुलवाती चुकि अब निंद खुलवाने के लिए मॉ चाय और पानी लेकर नही आती है बल्कि ऑफिस कही छुट ना जाए इस डर से पहले ही खुल जाता है। शरीर स्वस्थ्य नही होने पर मॉ समझ जाती थी मुझे क्या हूआ है लेकिन भागदौड़ की जिंदगी ऐसी हो गयी कि चाहते हूए घर पर नही रूक सकता क्योकि मेरे साथ यहां मॉ नही है जो मुझसे ये पुछे कि क्या हुआ है। हॉ आपको एक बात और बता दूं शायद मै पहला लड़का हूं जिसका फोटो अपने मॉ—पापा के साथ शायद ही देखने को मिले।



मुझे याद है जब मुझे खांसी होती थी तो मॉ अपने हाथो से मेरे सीने पर गाय का पुराना घी लगाया करती थी लेकिन अब ऐसा नही है अब तो ऐसा हो चुका हूं कि हर दर्द खुद ही सह लेता और जब मॉ फोन पर पुछती है कि कैसे हो तो ना चाहते हूए भी बहुत अच्छा हू कहना पड़ता है। शायद अब दर्द सहने की आदत सी हो गयी है यही नही अगर किसी को अपना दर्द बताता भी हूं तो कोई समझ नही पाता मेरी हाल—ए—दर्द को। मै स्वस्थ्य नही हूं मुझे बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा,यह सच है, लेकिन अब कोई समझता नही इसलिए मै अब किसी को बताना नही चाहता। मेरा घर भी अब पहले की तरह नही रहा हर लोग बदल चुके है, परिवार के कुछ सदस्यों के नजर में मै बुढ़ा हो चुका हूं कुछ लोग तो ताने भी देने लगे है कि पैसे वाला हो चुका है, तो कुछ मेरे अपने मेरे सगे यहां तक कह देते है कि उनके पैसे से हमलोगो को क्या फायदा, क्योकि मै विदेश में रहता हू न। लेकिन शायद एक मॉ ही है जिसके नजर में मै आज भी बच्चा हू। मॉ ! मै विदेश तो जरूर हूं लेकिन मै विदेशी हूं मुझे एहसास है तुम्हारा और तुम्हारे दिए हूए प्यार का। मॉ अभी भी तेरे दु:खो का एहसास हो रहा है लेकिन आज के हालात के आगे मजबुर हूं कुछ कर नही पा रहा हूं।