पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी (Shah Mahmood Qureshi) के बयान से नाराज सऊदी अरब ने इस्लामाबाद से दशकों पुराने रिश्ते तोड़ने का एलान कर दिया। इससे हिली पाकिस्तान सरकार अब अपने सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा (Qamar Javed Bajwa) को उसे मनाने भेजेगा।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नाराज सऊदी (Saudi) ने पाकिस्तान (Pakistan) को कर्ज और तेल की आपूर्ति रोकने की आधिकारिक पुष्टि की। वहीं, पाकिस्तान को 7482 करोड़ रुपये कर्ज लौटाने को भी कहा। सऊदी ने पाकिस्तान को 2018 में 6.2 अरब डॉलर का कर्ज दिया था। इसमें से 3 अरब डॉलर पेट्रोलियम पदार्थ लेने व उसके भंडारण के लिए दिया था।
क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Mohammad Bin Salman Al Saud) ने पिछले साल फरवरी में पाकिस्तान यात्रा के दौरान इस सौदे पर हस्ताक्षर किए थे। गौरतलब है कि पाकिस्तान कश्मीर को लेकर इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की बैठक बुलाने पर जोर दे रहा है, लेकिन सऊदी अरब इसके लिए तैयार नहीं है।
समर्थन जुटाने में विफल रहा पाकिस्तान
22 मई को कश्मीर में ओआईसी के सदस्यों से समर्थन जुटाने में पाकिस्तान विफल रहा था। इसके बाद प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने कहा था कि इसका कारण यह है कि हमारे पास कोई एकजुटता नहीं है बल्कि सिर्फ विभाजन है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा (Qamar Javed Bajwa) सोमवार को सऊदी अरब के राजदूत से मिले। हालांकि, यह मुलाकात भी बेअसर रही।
महमूद कुरैशी का बयान बना रिश्तों में खटास की वजह
कश्मीर पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी (Shah Mahmood Qureshi) के एक विवादित बयान के बाद ही दोनों देशों के संबंधों में खटास आनी शुरू हो गई थी। कुरैशी ने कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ रुख नहीं अपनाने के लिए सऊदी (Saudi) के नेतृत्व वाले ओआईसी को सख्त चेतावनी दी थी कि यदि संगठन इस मामले में आगे नहीं आया तो मैं प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) से उन इस्लामिक देशों की बैठक बुलाने के लिए मजबूर हो जाऊंगा जो कश्मीर के मुद्दे पर हमारे साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं। कुरैशी ने कहा था कि जैसे पाकिस्तान ने सऊदी के अनुरोध के बाद स्वयं को कुआलालंपुर शिखर सम्मेलन से अलग किया, वैसे ही अब रियाद को इस मुद्दे पर नेतृत्व दिखाना चाहिए।
चीन की चाल बनी पाकिस्तान से सऊदी के टकराव की वजह



कोरोना महामारी के दौरान चीन (China) और अमेरिका (America) के बीच जारी कूटनीतिक जंग ने जहां पाकिस्तान (Pakistan) और सऊदी अरब (Saudi Arab) के बीच दूरियां बढ़ा दी हैं, वहीं सऊदी के साथ भारत (India) के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का काम किया है। दरअसल विवाद की शुरुआत इस्लामिक देशों में चीन की चाल से शुरू हुई। इस्लामिक देशों में प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन ने पहले सऊदी अरब को साधने की कोशिश की। असफलता हाथ लगने पर उसके प्रतिद्वंद्वी ईरान (Iran) से हाथ मिलाया। फिर मलयेशिया (Malesiya) और पाकिस्तान (Pakistan) की सहायता से इस्लामिक देशों में सऊदी अरब का दबदबा खत्म करने की कोशिश की।
कूटनीतिक विशेषज्ञ बताते हैं कि मामला तब बिगड़ा जब सऊदी अरब का प्रभुत्व कम करने और उसकी जगह पाकिस्तान और मलयेशिया को खड़ा करने की रणनीति के तहत इसी साथ चीन ने परोक्ष रूप से मलयेशिया में एक बड़ा इस्लामिक सम्मेलन कराया। इसमें सऊदी अरब की भागीदारी नहीं थी, जबकि पाकिस्तान और मलयेशिया अगुआ की भूमिका में थे। इसके अलावा चीन ने ईरान से कई अहम समझौते किए।
भारत को अलग-थलग करने की थी साजिश
चीन की योजना अनुच्छेद 370 के सवाल पर इस्लामिक देशों में भारत को अलग-थलग करने की थी। उसकी इस योजना को तब सफलता मिली जब इसी साल जून के महीने में ओआईसी के कांट्रेक्ट समूह ने जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति पर चिंता जाहिर की। इसी बीच सऊदी अरब को चीन की उस योजना की भनक लगी जिसके तहत चीन ओआईसी में पाकिस्तान और मलयेशिया का प्रभुत्व कायम कराना चाहता था। इसकी भनक लगते ही सऊदी अरब का पाकिस्तान, मलयेशिया और चीन के प्रति रुख बेहद सख्त हो गया।
ओआईसी में अलग-थलग पड़ा पाक
पाकिस्तान की कोशिश ओआईसी के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के जरिए कश्मीर मुद्दे पर भारत को घेरने की थी। पाक बीते ढाई महीने से बैठक बुलाने के लिए सऊदी अरब पर दबाव डाल रहा है। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी (Shah Mahmood Qureshi) ने इस संदर्भ में सऊदी अरब को ओआईसी के अन्य सदस्य देशों की बैठक बुलाने की धमकी भी दी। हालांकि उसका यह दांव उल्टा पड़ा। नाराज सऊदी अरब ने न सिर्फ पाकिस्तान को 3.2 अरब डॉलर का कर्ज चुकाने का फरमान सुनाया, बल्कि उसे तेल की आपूर्ति भी बंद कर दी।
सऊदी से बड़ा करार करेगा भारत
भारत इस स्थिति का कूटनीतिक लाभ उठाने की तैयारी में है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि सितंबर महीने में भारत सऊदी अरब से तेल आयात सहित कई अन्य क्षेत्रों में बड़ा करार करेगा। चूंकि ओआईसी में सऊदी अरब का दबदबा है। ऐसे में सऊदी अरब सहित कई अन्य इस्लामिक देशों से भी भारत की नजदीकियां बढ़ेगी।