Tuesday, September 26, 2023

बुजुर्गों की अहमियत को दर्शाती डॉ. गांधी की पुस्तक : डॉ दुर्गविजय

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Bunty Bhardwaj
Bunty Bhardwaj is an Indian journalist and media personality. He serves as the Managing Director of News9 Aryavart and hosts the all news on News9 Aryavart.

आरा (अख्तर शफी-ब्यूरो प्रमुख)। जय प्रकाश विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डाॅ. दुर्गविजय सिंह ने महाराजा कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ .गांधीजी राय द्वारा लिखित पुस्तक “हमारे बुजुर्ग और उनकी जीने की राहे” का विमोचन किया और कहा कि यह पुस्तक बुजुर्गों की अहमियत को दर्शाती है और उन्हें उत्प्रेरित करती है कि उनकी जीने की राह कौन है? गांधीजी राय ने इस पुस्तक के संबंध में अपना विचार देते हुए कहा कि भारत में बुजुर्ग मां-बाप की सेवा संतान का नैतिक कर्तव्य था। संतान अपना फर्ज समझकर उनकी सेवा निस्वार्थ की थीं। यह पुस्तक बुजुर्गो की दिनोदिन हो रही दशा और बेबसी को बयां करती है। इस पुस्तक के आठ आध्यायों में बुजुर्गों की समस्याओं का वर्णन करते हुए बताया गया है कि उनकी जीने की राहे कौन – सी है। प्रथम अध्याय में एक बुजुर्ग के दर्द भरे दास्तान का विश्लेषण है, जिसमें एक असहाय बुजुर्ग को अपने बेटा-बेटियों से निवेदन करते दिखाया गया है।

द्वितीय अध्याय में मां-बाप से औलाद के रिश्ते को युग-युगांतर बनाया गया है। तृतीय अध्याय बुजुर्ग सास-ससुर के साथ बहुओं के दुर्व्यवहार एवं प्रताड़ना से संबंधित है। चतुर्थ अध्याय में उन कारणों का वर्णन है, जिनके चलते आज की युवा पीढ़ी बुजुर्गो के साथ दुर्व्यवहार और उपेक्षा कर रही है। पंचम अध्याय में बुजुर्गों की अहमियत को दर्शाती हुए बताया गया है कि बुढ़ापा अमिशाप नहीं है।वरन दिव्य जीवन की तैयारी है। बुजुर्गों को तदुरुस्त और स्वस्थ रहने के विभिन्न उपायों वर्णन किया गया है। षष्ठम अध्याय में भारतीय अर्थव्यवस्था में बुजुर्गों के महत्त्व, सप्तम अध्याय में सरकार द्वारा बुजुर्गों की सुरक्षा और कल्याण के लिए किए गए प्रयास तथा अष्ठम अध्याय में बताया गया है कि बेचारे बुजुर्ग अपना सारा जीवन की कमाई अपने बच्चों पर लुटाने के बाद कैसे खाली हाथ और बेबस होकर वृद्धाबम जाने को मजबूर हो जाते है।

इस मौके पर प्रो. बलराज ठाकुर ने भी बुजुर्गों पर लिखी गई पुस्तक के लिए डॉ . गांधीजी राय को धन्यवाद दिया और बताया कि यह पुस्तक बुजुर्गों के लिए प्रेरणादायक है। रेडक्रॉस के उपाध्यक्ष डॉ. निर्मल कुमार सिंह ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मां-बाप की सेवा संतान का नैतिक कर्तव्य है और संतानों को अपनी मां-बाप की सेवा नि:स्वार्थ भाव से करनी चाहिए। परंतु वर्तमान में इसका घोर अभाव दिख रहा है, जिससे परिवार में अशांति का माहौल बना रहता है। कुंवर सिंह कॉलेज के अवकाश प्राप्त प्राध्यापक को हीराजी राय ने भी अपना विचार व्यक्त किया।इस मौके पर स्नेहा कुमारी, सूर्यांश तथा सुशील कुमार सिंह सहित शहर के अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। डॉ. शीला कुमारी धन्यवाद ज्ञापन किया।

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