लॉकडाउन (Lockdown) में हजारों लोग पैदल ही अपने घर जाने के लिए निकल पड़े हैं. कोई 500 किलोमीटर दूर जा रहा है, तो कोई एक हजार किलोमीटर से भी ज्यादा का सफर तय कर रहा है. इस दौरान कुछ ऐसा भी हो रहा है, जो ताउम्र याद रहने वाला है. सलमान ऐसे ही चंद लोगों में से एक हैं. बिहार के सीतामढ़ी का रहने वाला सलमान दिल्ली से परिवार के साथ पैदल ही निकला था, लेकिन हरियाणा के पलवल के बाद का उसका सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है.आगरा पहुंचकर किसी से मोहब्बत का इजहार हुआ तो कानपुर से दोनों के घरवालों के बीच तू-तू, मैं-मैं शुरू हो गई. लेकिन, गोरखपुर पहुंचते-पहुंचते निकाह हो गया. इस तरह से घर की दहलीज पर पहुंचने से पहले ही सलमान और शहनाज को मोहब्बत की मंजिल मिल गई. हालांकि, यह सब इतनी आसानी से नहीं हुआ.



आप लोगों ने तो यह सुना ही होगा कि जोड़ियां भगवान बनाता है, किसी को अपना जीवनसाथी जल्दी मिल जाता है तो किसी को देर में मिलता है, परंतु जब टाइम आता है तभी व्यक्ति को अपना जीवनसाथी मिलता है, कुछ एक ऐसी ही कहानी लॉक डाउन के दौरान सामने आई है, एक मजदूर लॉक डाउन की वजह से पैदल ही अपने घर के लिए निकल गया, बिहार के सीतामढ़ी का रहने वाला युवक सलमान दिल्ली से बिहार के लिए अपने परिवार के साथ पैदल ही घर जा रहा था, जब वह हरियाणा के पलवल पर पहुंचा तब उसके बाद का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है, इसी रास्ते पर सलमान को अपनी जीवनसं गिनी मिली है, उसके इस सफर ने उसको अपनी मोहब्बत से मिला दिया।
पैदल ही घर से निकलने के लिए हुए मजबूर



आपको बता दें कि सलमान एक दुकान में उर्दू टाइपिंग का कार्य करता था और यह दिल्ली के ओखला में अपने माता-पिता और दो छोटे भाई बहनों के साथ रहता था, सलमान जितनी टाइपिंग करता था उसको उतना ही पैसा मिला करता था, सलमान के पिताजी ओखला में ही चाय का ठेला लगाया करते थे, लेकिन जैसे ही कोरोना वायरस की वजह से लॉक डाउन का ऐलान हुआ तब इनकी जितनी भी जमा पूंजी थी शुरुआती 20 दिनों में ही खर्च हो गई, फिर सलमान के पिता एक लंगर का रिक्शा चलाने लगे और लंगर से ही खाना लाकर अपना पेट भरते थे, लेकिन लंगर भी ज्यादा टाइम तक नहीं चला और यह बंद हो गया था, तब इन्होंने मजबूर होकर यह फैसला लिया कि पैदल ही अपने परिवार के साथ अपने घर सीतामढ़ी जाएंगे।
कुछ इस तरह शुरू हुई थी सलमान की प्रेम कहानी
सलमान अपने परिवार के साथ 18 मई 2020 को दिल्ली से बिहार के लिए निकला था, जब यह हरियाणा के पलवल और बल्लभगढ़ के बीच पहुंचे तब सफर की थकान की वजह से इसके परिवार ने उसी स्थान पर रुककर आराम करने का निर्णय लिया, उसी समय सलमान के पिता के एक दोस्त से मुलाकात हुई, वह भी बिहार जा रहे थे, जिसमें शहनाज भी शामिल थी, दोनों परिवार मिलकर बिहार के लिए रवाना हो गए, इसी दौरान दोनों परिवार मिलकर खाना खाते थे और जहां पर आराम करना होता था दोनों परिवार वहीं पर रुक जाते थे, सलमान और शहनाज की आदतें ज्यादातर मिलती-जुलती थी, उनके खाने का अंदाज भी लगभग एक जैसा ही था।
आगरा पहुंचकर सलमान और शहनाज में शुरू हुई बातचीत



सलमान और शहनाज का परिवार जैसे ही आगरा पहुंचा तब इन दोनों मैं बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया, सलमान से शहनाज ने पूछा कि यह कौन सा शहर है? तब सलमान ने शहनाज को बताया कि यह ताजमहल का शहर है, तब शहनाज ने सलमान को कहा कि क्या वह ताजमहल दिखा सकता है, तब सलमान को ऐसा एहसास होने लगा कि हम दोनों की सोच काफी मिलती-जुलती है।
कानपुर पहुंचकर दोनों परिवारों के बीच बहस-बाजी



जब सफर तय करते हुए यह कानपुर पहुंचे तब इन दोनों के परिवार वालों को कुछ आभास होने लगा, तब दोनों परिवार के बीच काफी बहस बाजी होने लगी, कानपुर के बाद इन दोनों परिवार के बीच कहासुनी काफी बढ़ गई, जब यह दोनों परिवार गोरखपुर पहुंच गए तब सलमान और शहनाज के बीच थोड़ी बातचीत होने लगी थी, लेकिन इन दोनों के परिवार को दोबारा से शक होने लगा और उन्होंने तय किया कि यह अलग-अलग टाइम पर अपने घर के लिए रवाना होंगे, लेकिन सलमान ने इस बात को मानने से इंकार कर दिया, उसने कहा कि साथ चलने में क्या दिक्कत है।
बहस-बाजी में ही बात पहुंच गई शादी तक



जब दोनों परिवारों ने यह फैसला लिया कि वह अलग-अलग समय पर निकलेंगे तब इस बात को मानने से सलमान ने इंकार कर दिया, उसके पिताजी ने समझाने की काफी कोशिश की परंतु यह नहीं माने और उन्होंने कहा कि मैं शहनाज को लेकर ही जाऊंगा, दोनों परिवारों के बीच काफी लंबी बातचीत हुई, लेकिन सलमान और शहनाज की जिद के आगे इन दोनों परिवारों को झुकना पड़ा और आखिर में इनकी शादी के लिए यह राजी हो गए, शाम को इनका निकाह हो गया।