लॉकडाउन में जान जोखिम में डाल कर सवारी करने वाले प्रवासी मजदुरो की संख्या कम होती नजर नही आ रही है। सरकार इन कारणो से ही जून से ट्रेनो का परिचालन करने जा रही है लेकिन अब भी मजदुर अपनी जिंदगी जीने की चाहत में मौत की सवारी करने पर मजबुर है। प्रतिदिन कही से न कही से भारी दुर्घटनाओ की खबर सामने आती है लेकिन सरकार की उदासिनता के कारण मजदुरो अब भी अपनी जान जोखिम में डाल कर सवारी करने पर मजबुर है।



रोहतास । रूपेश कुमार । लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों के लौटने का सिलसिला जारी है वहीं, सरकारी स्तर पर प्रवासी मजदूरों को घर वापस लाने की व्यवस्था की जा रही है फिर भी बड़ी संख्या में मजदूर पैदल या खुद का इंतजाम करके वापस घर लौट रहे हैं ।
बता दें कि रोहतास जिले के एनएच-2 पर सैकड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूर ट्रकों और ऑटो पर सवार होकर वापस घर लौटते दिखे वहीं, मुंबई से झारखंड लौट रहे प्रवासी मजदूरों ने बताया कि लौटने के दौरान कहीं भी उन लोगों को बॉर्डर पर रोका तक नहीं गया साथ ही उन लोगों की स्क्रीनिंग भी नहीं की गई ।



इसके अलावा मजदूरों ने बताया कि वो मुंबई में अलग-अलग कंपनियों में काम करते थे वो सब इतने दिनों से लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन ये लॉकडाउन खत्म नहीं हुआ वहीं, उन लोगों के पास पैसे भी खत्म होने लगे तो वापस घर लौटने का फैसला किया वहीं, मजदूरों ने बताया कि उनके साथ छोटे-छोटे बच्चे भी हैं रास्तें में काफी परेशानी हुई, लेकिन हम सब चाहते हैं कि किसी तरह से घर पहुंच जाएं ।