राष्ट्रीय जनता दल विधानसभा चुनावों को लेकर खासा एहतियात बरत रही है। हर कदम सोच-समझकर उठा रही है। वह जातीय समीकरण से लेकर नेतृत्व के हर संभावनों पर गौर कर रही है, ताकि आने वाले समय में किसी भी तरह का कोई सवाल न खड़ा हो।



बिहार के सियासी गलियारों में चर्चा है कि आरजेडी तेज प्रताप यादव को विधान परिषद भेज सकती है। फिलहाल तेज प्रताप अभी महुआ सीट से विधायक हैं। विधान सभा चुनावों को देखते हुए पार्टी उन्हें विधान परिषद भेजने का सोच रही है।
पार्टी के भीतर चर्चा है कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए आरजेडी विधान परिषद में जातीय समीकरण बिठाने के लिए अति पिछड़ा और अल्पसंख्यक कोटे से एक-एक उम्मीदवार को विधान परिषद भेज सकती है।



सूत्रों के मुताबिक आरजेडी के अंदर किसी उच्च जाति से खासकर राजपूत समाज से विधान परिषद प्रत्याशी बनाने की मांग हो रही है। कहा जा रहा है कि भूमिहार समाज से आरजेडी ने एडी सिंह को राज्यसभा भेजा है तो राजपूतों को विधान परिषद में उम्मीदवारी मिलनी चाहिए।
बिहार में विधान परिषद की 9 सीटों के लिए चुनाव होने हैं। यह सभी सीटें जेडीयू और बीजेपी के कोटे की हैं, लेकिन इस बार विधान सभा में दलों की मजबूती के हिसाब से तीन सीट आरजेडी के खाते में जाएगी। वहीं एक सीट कांग्रेस के खाते में भी जाना तय है। बाकी की पांच में तीन जेडीयू और दो बीजेपी के हिस्से में जाएंगी।



विधान परिषद प्रत्याशी पद की दावेदारी के बीच बात सामने आयी है कि लालू-राबड़ी के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को बख्तियारपुर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया जा सकता है। वे काफी समय से उस इलाके में सक्रिय रहे हैं। हालांकि, इस संबंध में पार्टी के भीतर किसी भी नेता ने खुलकर कुछ नहीं कहा।