बिहार में चुनाव की रंग साफ तौर पर दिखने लगी है,राजनीतिक पार्टियों के द्वारा आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है। चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे लालू यादव रांची के रिम्स में भर्ती हैं। जेल के अंदर से भी बिहार की राजनीति पर अपनी पूरी नजर बनाए रखते है।
लालू ने अपने बिंदास अंदाज में सोमवार को ट्वीट करके नीतीश कुमार पर हमला बोला हैं। लालू ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बिना नाम लिए उनपर अपने शैली में हमला बोला है। लालू प्रसाद ने ट्वीट कर कहा कि कोरोना के डर से डरपोक 83 दिन से निकले ही नहीं है।
लालू के ट्वीट पर लिखा गया है- बूझो तो जाने? किस प्रदेश का डरपोक मुख्यमंत्री विगत 83 दिन से घर से बाहर नहीं निकला है? कोरोना भले ना भागऽल लेकिन ई मुख्यमंत्री जनता के बीच मंझधार में छोड़ के भाग गऽइल ई रणछोर के हिसाब-किताब आवे वाला चुनाव में सब लोग मिल-ज़ुल के लऽ।
वही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी सरकार पर जमकर हमला बोला है। तेजस्वी ने कहा कि बिहार में प्रतिदिन कोरोना के मामले बढ़ रहे है लेकिन जांच अब भी अत्यंत धीमी गति से हो रहा है। उन्होने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल भी किया है कि 12.60 करोड़ जनसंख्या वाले राज्य में विगत 3 महिने में सिर्फ 1 लाख से भी कम टेस्ट क्यो किया गया है ?



तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार से सवाल किया है कि स्वास्थ्य व्यवस्था के सुधार और विस्तार संबंधी सवालों पर चुप्पी क्यों साध लेते हैं ? वेंटिलेटर, ICU बेड, कोरोना समर्पित अस्पतालों, जांच केंद्रो का विस्तारीकरण पर जवाब नहीं देते। ये आपकी विफलता नहीं तो क्या है? तेजस्वी ने नीतीश कुमार को सलाह दी कि वे हेडलाइन मैनेजमेंट छोडकर, कोरोना मैनेजमेंट पर ध्यान दें।
जेडीयू ने बताया लालू प्रसाद को धृतराष्ट
लालू प्रसाद के इस ट्वीट पर जेडीयू नेता राजीव रंजन का कहना है कि लालू प्रसाद राजनीति के आधुनिक धृतराष्ट्र हैं। लालू प्रसाद को अपने पुत्रों में कोई कमी नहीं दिखती। सोने का चम्मच देकर दोनों पुत्र को राजनीति में उतारने वाले लालू प्रसाद को नीतीश कुमार पर सवाल करने के पहले अपने अंदर झांकना चाहिए। लालू प्रसाद ने बिना किसी योग्यता के अपने पुत्रों को जबदस्ती बिहार पर थोप दिया है। उनके पुत्र तेजस्वी यादव बिहार पर आने वाले हर संकट में कहां गायब हो जाते हैं लालू प्रसाद को यह बताना चाहिए। लालू प्रसाद सजायाफ्ता हैं अपने परिवार के लिए कुछ ना कुछ तो करना है क्योंकि बिहार के जनता की फिक्र तो उन्हें है नहीं।



नीतीश कुमार को किसी को बताने की जरूरत नहीं है कि उन्हंने 83 दिन कोरोना काल में कैसे लोगों को क्वारंटीन किया गया, उनके खाते में राशि डाली गयी, उनके रोजगार के लिए प्रबंध कर रहे हैं। लालू प्रसाद को यह जानना चाहिए कि तेजस्वी यादव अपने विधानसभा क्षेत्र का हाल जानने की भी कोशिश नहीं की, वहां कोरोना प्रभावित लोगों को देखने क्यों नहीं जा रहे हैं। लेकिन लालू प्रसाद ये सब नहीं पूछेंगे क्योंकि उनके लिए पूरी दुनिया ही उनका घर उनके पुत्र और उनका कुनबा ही है।