Thursday, June 1, 2023

सिर्फ स्तनपान से 15% तक शिशु मृत्यु दर में कमी संभव : डॉ. विनोद कुमार सिंह | विश्व स्तनपान सप्ताह को लेकर राज्य स्तरीय कार्यशाला का हुआ आयोजन |

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Bunty Bhardwaj
Bunty Bhardwaj is an Indian journalist and media personality. He serves as the Managing Director of News9 Aryavart and hosts the all news on News9 Aryavart.

पटना | किसी नवजात के संपूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास तथा स्वस्थ जीवन के लिए स्तनपान किसी अमृत समान है. अधिक से अधिक माताओं को स्तनपान कराने के लिए प्रेरित करने एवं स्तनपान को नवजात के जीवन का अमूल्य अंग बनाने के लिए हर वर्ष 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है. इसी क्रम में बुधवार को पटना स्थित एक निजी होटल में “प्रोटेक्ट ब्रेस्टफीडिंग- अ शेयर्ड रेस्पोंसिबिलिटी” पर राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. आयोजित कार्यशाला में चिकित्सकों एवं विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी और स्तनपान के महत्ता को समुदाय के समक्ष रखने की जरुरत को महसूस किये और आगे की नीति पर बात की. 


निमोनिया एवं कुपोषण से लड़ने का सशक्त हथियार है स्तनपान: अलोक

कार्यशाला को संबोधित करते हुए समेकित बाल विकास विभाग के निदेशक अलोक कुमार ने कहा स्तनपान शिशुओं के लिए डायरिया, निमोनिया एवं कुपोषण से लड़ने का सबसे सशक्त हथियार है. हमें समुदाय तक इस सन्देश को नित नए तरीकों से पहुंचाने की जरुरत है.

कामकाजी महिलाओं के लिए अनुकूल माहौल पहुँचाना जरुरी: डॉ. राय 

वर्चुअल माध्यम से कार्यशाला से जुड़े राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी- शिशु स्वास्थ्य डॉ. बी.पी.राय ने बताया आजकल महिलायें नौकरी करती हैं और ऐसे में हर संस्थान में धात्री माताओं के लिए स्तनपान को ध्यान में रखकर इसके लिए जगह निर्धारित होनी चाहिए जिससे वे अपने बच्चे को स्तनपान करा सकें. डॉ. राय ने कहा समुदाय को डिब्बाबंद दूध से होने वाले नुकसान के बारे में बताकर स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया जा सकता है. पीएमसीएच के शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.ए.के.जयसवाल ने कहा नवजात के मूंह का माँ के स्तन से स्पर्श करना स्तनपान को बढ़ावा देने का सबसे प्रमुख कारक है. नवजात को माता का स्पर्श और स्तन से स्पर्श उसे स्वयं स्तनपान करने के लिए प्रेरित करेगा. समुदाय में स्तनपान को लेकर संवेदीकरण की आवश्यकता है जिससे स्तनपान को बढ़ावा मिले.

सिर्फ स्तनपान से 15% तक शिशु मृत्यु दर में कमी संभव : डॉ. विनोद

कार्यशाला को संबोधित करते हुए एनएमसीएच पटना के शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष सह अस्पताल अधीक्षक डॉ. विनोद कुमार सिंह ने कहा सिर्फ नियमित स्तनपान द्वारा शिशु मृत्यु दर में 15 फीसदी तक की कमी लायी जा सकती है. शिशु को 6 महीने के उपरांत स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार देने से शिशु मृत्यु दर में 20 फीसदी तक की कमी लायी जा सकती है. डॉ. विनोद ने बताया इस समय नवजात स्वास्थ्य में तीन चुनौतियाँ हैं, कुपोषण, जलवायु परिवर्तन और कोविड-19. इन सभी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए हमें स्तनपान को बढ़ावा देना है और महिलाओं एवं उनके परिजनों के साथ समुदाय को स्तनपान के फायदों के बारे में लगातार बताना है.

हर स्तर पर माताओं से संपर्क कर स्तनपान को दें बढ़ावा : शिवेंद्र

यूनिसेफ के कार्यक्रम प्रबंधक शिवेंद्र पांडया ने बताया स्तनपान को लेकर हमें अपनी नीतियों का अवलोकन करने की जरुरत है. महिलाओं एवं उनके परिवारजनों से हर स्तर पर संपर्क साधने की जरुरत है जिससे सभी को स्तनपान के महत्त्व और लाभ से अवगत कराया जा सके. शिवेंद्र पांडया ने बताया कोविड संक्रमित माता भी सुरक्षा मानकों का ध्यान रखते हुए स्तनपान करा सकती है और इस बात को सामुदायिक स्तर पर पहुंचाने की जरुरत है.

माँ के दूध का नहीं है कोई विकल्प : डॉ. शिवानी 

यूनिसेफ की पोषण अधिकारी डॉ. शिवानी दर ने बताया नवजात एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए माँ के दूध का कोई विकल्प नहीं है. किसी भी पशु का दूध अथवा डिब्बाबंद दूध माँ के दूध के सामान प्राकृतिक और पोषक नहीं होता है और इस संदेश को घर घर पहुंचाने की जरुरत है. घर के सभी सदस्यों को स्तनपान की क्रिया में माता को सहयोग करना अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी तभी हर माँ निश्चिंत होकर अपने बच्चे को स्तनपान करा सकेगी. सभी अस्पतालों एवं चिकित्सीय संस्थानों को अपने कर्मियों को बताना होगा की जन्म के पहले घंटे में शिशु को माँ का पहला दूध पिलाना सुनिश्चित करें.

कार्यशाला के अपने संबोधन में डॉ. निगम प्रकाश नारायण ने बताया स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए पुरुषों की भागीदारी को बढ़ाने की जरुरत है. इसके लिए पिता बनने जा रहे पुरुषों को स्तनपान के फायदों से अवगत करना और इसमें पत्नी का सहयोग करने के लिए संवेदीकरण करने की जरुरत है. अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता सभी गर्भवती महिलाओं से आमने सामने बैठकर स्तनपान के फायदों एवं सही तरीके से स्तनपान कराने के बारे में बात करें.

 “स्तनपान एक सामूहिक जिम्मेदारी” : डॉ.सरिता 

अपने संबोधन में मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम की राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. सरिता ने कहा स्तनपान एक सामूहिक जिम्मेदारी है जिसे सभी को समझकर इसको बढ़ावा देने की जरुरत है. कार्यशाला में  डॉ. सुप्रिया जयसवाल, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. बी.पी.जयसवाल, पोषण अभियान की राज्य नोडल श्वेता सहाय एवं यूनिसेफ की मोना सिन्हा ने भी स्तनपान के महत्त्व पर चर्चा की और सभी से इसे एक अभियान के रूप में लेने की बात की.

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