भोजपुरी भाषा और संस्कृति के प्रसार में यहाँ से बाहर विदेश गए गिरमिटिया मजदूरों का अहम योगदान है। कई गिरमिटिया फिर कभी स्वदेश लौट नहीं सके पर अपनी संस्कृति और जड़ों से जुड़े रहे। गिरमिटिया कथा सुनाने के लिए नीदरलैंड निवासी और सरनामी भोजपुरी गायक, संगीतकार राज मोहन अपने भारत प्रवास के दौरान वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभाग में संगीतमय व्याख्यान ‘बटोहिया’ की प्रस्तुति करेंगे। राज मोहन के पुर्वज 140 साल पहले सूरीनाम गए थे और कभी वतन नहीं लौटे।



राज मोहन उन पूर्वजों की चौथी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं और हॉलैंड में रहते हुए पूरे विश्व में अपने गीत-संगीत के माध्यम से सरनामी भोजपुरी के अस्तित्व को संरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। राज मोहन के साथ नेपाल के भोजपुरी आंदोलन की करीब से साक्षी रही जानी मानी पत्रकार और एक्टिविस्ट उषा तितिक्षु भी भारत आ रही हैं। राज मोहन और उषा तितिक्षु विवि के भोजपुरी विभाग के साथ मिलकर साझा भोजपुरी सँस्कृति के संरक्षण पर अकेडमिक पहल की संभावनाओं पर भी विभागाध्यक्ष प्रो दिवाकर पांडेय और अन्य अधिकारियों के साथ विमर्श करेंगे।



ज्ञात हो कि यह विभाग विश्व का पहला भोजपुरी उच्च शिक्षण का विभाग है और इस विवि में स्नातक से पीएचडी तक भोजपुरी की पढ़ाई होती है। प्रो दिवाकर पांडेय ने बताया कि यह विभाग के लिए गौरव का क्षण है जब विदेश से पहली बार ऐसे कार्यक्रम के लिए कोई विवि आ रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों से विवि की गरिमा तो बढ़ेगी ही और साथ ही भोजपुरी अध्ययन में सम्भावनाओं के नए मार्ग प्रशस्त होंगे।भोजपुरी विभाग के पीएचडी के छात्रों को क्यू आर कोड युक्त अत्याधुनिक डिजिटल आईडी कार्ड दिए गए। यह विवि का पहला विभाग है जहाँ ऐसे परिचय पत्र दिए गए। विभागाध्यक्ष ने कहा कि विभाग नैक की तैयारी में लगा हुआ है।