सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के बाद अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant singh Rajput) के कथित सुसाइड मामले में जांच पड़ताल शुरू कर दी है। ऐसे में सुशांत के प्रशंसक और परिवार वाले खुश हैं, उन्हें उम्मीद है कि जल्द से जल्द सुशांत (Sushant singh Rajput) का असली गुनहगार पकड़ा जाएगा। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक सवाल पर लगातार चर्चा की जा रहा है कि क्या सीबीआई इस मामले में तुरंत किसी की गिरफ्तारी कर सकती है? तो आइये जानते हैं, आखिर सीबीआई किन परिस्थितियों में गिरफ्तारी कर सकती है…



दरअसल सीबीआई द्वारा तुंरत गिरफ्तारी को लेकर, कानून विशेषज्ञों की अलग अलग राय है। एक इंटरव्यू में पूर्व सीबीआई डायरेक्टर एपी सिंह ने कहा कि गिरफ्तारी के लिए सीबीआई को पहले पर्याप्त सबूत जुटाने होंगे। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि सुशांत (Sushant singh Rajput) के फैंस द्वारा जो मांग की जा रही है कि इस मामले में तुरंत गिरफ्तारी हो, वो अभी संभव नहीं दिखती है।



याद दिला दें कि सुशांत (Sushant singh Rajput) के पिता केके सिंह ने पटना के राजीव नगर थाने में रिया (Rhea Chakraborty) के खिलाफ केस दर्ज करवाया था। इसमें उन्होंने रिया (Rhea Chakraborty) पर आरोप लगाया है कि उसने ही सुशांत (Sushant singh Rajput) को आत्महत्या के लिए उकसाया है। साथ ही रिया (Rhea Chakraborty) पर सुशांत के करोड़ों रूपए लूटने का भी गंभीर आरोप है। बता दें कि इस एफआईआर में रिया (Rhea Chakraborty) समेत 6 अन्य लोगों के नाम हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि सीबीआई इन सभी लोगों को पूछताछ के लिए तलब कर सकती है।
गिरफ्तारी इंवेस्टिगेटिंग ऑफिसर का विशेषाधिकार
गिरफ्तारी की बात करें, तो इससे जुड़े कानूनी प्रावधान एकदम स्पष्ट हैं। इसके अनुसार गिरफ्तारी सिर्फ इंवेस्टिगेटिंग ऑफिसर के विशेषाधिकार के अंतर्गत आता है। इसके अलावा देशभर के कई उच्च अदालतों ने इस बात का जिक्र किया है कि गिरफ्तारी तर्कपूर्ण और न्यायसंगत होनी चाहिए।
गिरफ्तारी को तर्कपूर्ण और न्यायसंगत साबित करने में सक्षम हो I.O
गिरफ्तारी के बारे में कहा जाता है कि जो भी इंवेस्टिगेटिंग ऑफिसर मामले की जांच पड़ताल करता है, उसे गिरफ्तारी को तर्कपूर्ण साबित करने में सक्षम होना चाहिए। सिर्फ आरोपों के आधार पर ही कि किसी ने अपराध किया है, ये तर्कसंगत नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक आरोप सिद्ध नहीं हो जाते, गिरफ्तारी नहीं की जा सकती है। कानून के जानकारों का मानना है कि सीबीआई की जांच किस ओर जाएगी, इसका पहले से अनुमान लगाना भी ठीक नहीं है।



इस मामले में वरिष्ठ वकील रमेश गुप्ता का कहना है कि इस केस में सुसाइड नोट नहीं है, सीबीआई को पूरे घटनाक्रम को एक साथ जोड़ना होगा, इसके अलावा इस केस में अभी तक कोई प्रत्यक्ष सबूत भी नहीं मिले हैं। सिर्फ परिस्थितिजन्य साक्ष्य ही मौजूद हैं। उन्होंने आगे कहा कि कानून जरूर इंवेस्टिगेटिंग ऑफिसर को गिरफ्तारी करने का अधिकार देता है, बशर्ते वो गिरफ्तारी न्यायपूर्ण और तर्कसंगत हो।
सिर्फ पीड़ित पक्ष की दलील पर गिरफ्तारी संभव नहीं
वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा का कहना है कि अभिनेता सुशांत (Sushant singh Rajput) के परिवार वालों के आरोपों के आधार पर किसी की गिरफ्तारी नहीं की जा सकती है। इसी के आगे उन्होंने कहा कि सिर्फ पीड़ित पक्ष के अनुरोध या दलील के आधार पर किसी की गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। हालांकि ये बात सच है कि हर मामले में पीड़ित पक्ष चाहता है कि जल्द से जल्द गिरफ्तारी हो।



इन परिस्थितियों में ही हो सकती है गिरफ्तारी
विकास पाहवा बताते हैं कि गिरफ्तारी तभी हो सकती है जब जांच एजेंसी को आरोपी से कुछ रिकवर करना हो। या फिर इंवेस्टिगेटिंग ऑफिसर को लगता है कि आरोपी जांच में उसके साथ सहयोग नहीं कर रहा है। या फिर अगर IO को लगे कि आरोपी को कस्टडी में लेकर पूछताछ की जा सकती है। या फिर लगे कि आरोपी गवाहों और चश्मदीदों को प्रभावित कर रहा है। या फिर वो कुछ छिपा रहा है। ये सब ऐसी परिस्थितियां हैं, जिनसे गिरफ्तारी न्यायपूर्ण और तर्कसंगत होती है।



साथ ही वकील विकास पाहवा ने कहा कि सीबीआई इस केस में कई नए आयामों को खोल सकती है, कुछ ऐसे लोगों के नाम का भी जिक्र हो सकता है, जिन्हें सुशांत (Sushant singh Rajput) के परिवार वाले जानते ही न हों।