Thursday, June 1, 2023

Birthday special: नवाजुद्दीन सिद्दीकी ! कभी झेली थी गरीबी की मार, करनी पड़ी थी चौकिदार की नौकरी

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Bunty Bhardwaj
Bunty Bhardwaj is an Indian journalist and media personality. He serves as the Managing Director of News9 Aryavart and hosts the all news on News9 Aryavart.

दमदार एक्टिंग से अपने किरदार में जान डाल देने वाले नवाजुद्दीन सिद्दीकी (Nawazuddin Siddiqui) आज 19 मई को अपना जन्मदिन मना रहे हैं. काफी लंबे समय के संघर्ष के बाद बॉलीवुड में अपनी जगह बनाने के सफर में नवाजुद्दीन सिद्दीकी (Nawazuddin Siddiqui) ने एक से बढ़कर एक किरदार निभाए हैं. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के छोटे से गांव बुढ़ाना में जन्मे नवाजुद्दीन सिद्दीकी (Nawazuddin Siddiqui) ने फिल्मी दुनिया में अपना मुकाम खुद बनाया है.

नवाजुद्दीन सिद्दीकी (Nawazuddin Siddiqui) यूं तो कई फिल्मों में नजर आए हैं जिनमें फिल्म ‘सरफरोश’ भी शामिल है लेकिन फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में उनके द्वारा निभाए गए फैजल नाम के किरदार से उन्हें एक अलग पहचान मिली. इस फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी (Nawazuddin Siddiqui) द्वारा बोले गए कई डायलॉग काफी फेमस हुए थे.

बॉलीवुड में सफलता इतनी आसानी से नहीं मिल जाती। खासकर उनके लिए इसकी राह मुश्किल है जिन्हें सुंदरता की कसौटी पर परखा जाता है। लेकिन कुछ जिद्दी लोगों ने बॉलीवुड के इस पैमाने को तोड़कर रास्ता साफ कर दिया। इन्हीं में से एक अभिनेता हैं नवाजुद्दीन सिद्दीक। किरदार को जीना और उसमें ऐसी जान फूंक देना कि सामने वाला कह उठे कि इससे बेहतर इस रोल को कोई और नहीं निभा सकता, ये खासियत नवाज को बॉलीवुड में हीरो की भीड़ अलग छांट देती है। 19 मई, 1974 को जन्मे नवाजुद्दीन की सनक ने उन्हें पर्दे का वो योद्धा बनाया जो बिना हथियारों के युद्ध जीत लेता  है। नवाजुद्दीन के जन्मदिन आपको बताते हैं उनकी जिंदगी की कुछ खास बातें।

नवाजुद्दीन सिद्दीकी उत्तर प्रदेश के शहर मुजफ्फरनगर के कस्बे बुढ़ाना में पैदा हुए। इस कस्बे में नवाज को कोई फिल्मी माहौल नहीं मिला। 80 के दशक के आखिरी दौर का ये वक्त था जब टीवी घर मे होना बड़ी शान माना जाता था। कस्बे और छोटे शहर में कलर टीवी नहीं पहुंचा था। जवान होते लोग छुप-छुप के ब्लैक एंड व्हाइट टीवी देखा करते थे। मौहल्ले भर के बच्चे एक ही घर में टीवी देख रहे होते थे क्योंकि अमूनन मुहल्ले में एक या दो टीवी ही हुआ करते थे। नवाज भी टीवी देखते और दूसरे काम छोड़ देर तक टीवी के सामने रहते, यहीं से एक सपना नवाज के मन में पल गया।

नवाज ने दिल्ली में साल 1996 में दस्तक दी जहां उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से अभिनय की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वह किस्मत आजमाने मुंबई चले गए। नवाज को खुद कभी ये उम्मीद नहीं थी कि वे इतने ज्यादा मशहूर हो जाएंगे। नवाज ने एक्टिंग स्कूल में दाखिला तो जैसे तैसे ले लिया था, लेकिन उनके पास रहने को घर नहीं था। इसलिए उन्होंने अपने एक सीनियर से कहा कि वो उन्हें अपने साथ रख लें। इसके बाद नवाज उनके अपार्टमेंट में इस शर्त पर रहने लगे कि उनको वह खाना बनाकर खिलाएंगे। नवाज अपने संघर्ष के दिनों में कुछ भी करने गुजरने को तैयार रहते थे। इसलिए वह कभी वॉचमैन की नौकरी भी किया करते थे। फिल्मों में आने के बाद भी नवाज ने वेटर, चोर और मुखबिर जैसी छोटी- छोटी भूमिकाओं को करने में भी कोई शर्म महसूस नहीं की। एक्टर ने शूल, मुन्ना भाई MBBS और सरफरोश जैसी फिल्मों में ये छोटे-छोटे किरदार निभाए।

नवाज मुंबई तो आ गए थे लेकिन दैनिक खर्च चलाने के लिए उनके पास कोई नौकरी नहीं थी। कड़ी मशक्कत के बाद उन्हें एक चौकीदार की नौकरी हासिल हुई, लेकिन इसके लिए भी उन्हें किसी दोस्त से उधार लेकर सिक्योरिट अमाउंट भरना पड़ा था। नवाज को यह नौकरी मिल तो गई लेकिन शारीरिक रूप से वह काफी कमजोर थे। इसलिए ड्यूटी पर वह अक्सर बैठे ही रहते थे। यही कारण था कि मालिक के देखने के बाद उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा। वहीं, उनको सिक्योरिटी अमाउंट भी रिफंड नहीं किया गया।

नवाज को अनुराग कश्यप की फिल्म ब्लैक फ़्राईडे में काम करने का मौका मिला। उसके बाद फिराक, न्यूयॉर्क और देव डी जैसी फिल्मों में काम मिला। सुजोय घोष की ‘कहानी’ में उनका काम सराहा गया। ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ तक आते आते नवाज स्टार बन चुके थे। चाहे बंदूकबाज में बाबू मोशाय का किरदार हो या सेक्रेड गेम्स का गणेश गायतोंडे, सभी किरदारों से नवाज ने फैंस का दिल जीता है। आज जिस नवाज की मिसाल दी जाती है दरअसल वहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है। एक वक्त ऐसा था जब उन्हें दो वक्त का खाना भी ठीक से नसीब नहीं होता था।

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