आरा। सनातन धर्म पर उदयनिधि स्टालिन का बयान इन दिनों काफी सुर्खियों में है। लोगों में इस बयान के बाद आक्रोश देखने को मिल रहा है। मामले को लेकर आरा व्यवहार न्यायालय के एक अधिवक्ता ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे युवा कल्याण एवं खेल विकास मंत्री उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ एक परिवाद पत्र जिला मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के यहाँ दाखिल किया गया है। अधिवक्ता धरनीधर पांडेय के परिवाद पत्र में कहा गया है की वह सनातन धर्म के अनुयायी हैं और उदयनिधि स्टालिन के द्वारा दिए गए “घृणास्पद भाषण” से व्यथित हैं।



परिवाद पत्र के माध्यम से बताया गया है कि उदयनिधि स्टालिन की भाषण ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई, हिंदू धर्म के अनुयायियों का अपमान किया और धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच धर्म विभेद का काम किया है। धरनीधर पांडेय ने अपने परिवाद पत्र में बताया है की तमिलनाडु सरकार में खेल मंत्री के पद पर आसीन उदयनिधि स्टालिन ने चेन्नई में सनातन उन्मूलन परिसंवाद कार्यक्रम वक्ता के रूप में उपस्थित थे जहा उन्होंने अपराधिक आशय से जनसैलाब को संबोधित करते हुए सनातन धर्म को डेंगू,कोरोना वायरस और मलेरिया जैसे शब्दों से संबोधित करते हुए उन्मूलन यानी समाप्त करने करने के वक्तव्यों के साथ जनसमूह को भड़काया जो विद्वेषपूर्ण भावना से वर्गो के बीच शत्रुता का समर्थन कर राष्ट्रीय एकता और अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले लांछनपूर्ण भाषण दिया है। परिवाद पत्र में उदयनिधि स्टालिन पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, घृणा उत्पन्न करने वाला, वर्ग विभेद पैदा करने वाला और राष्ट्रीय एकता तथा अखंडता को खंडित करने वाला बताया गया है।
अधिवक्ता धरनीधर पांडेय ने जुर्म दफा 120 (B), 153 (A), 153 (B), 295 (A) तथा 298 के अंतर्गत परिवाद पत्र दाखिल किया है। गौरतलब है कि उदयनिधि स्टालिन ने तमिलनाडु में एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा था कि सनातन धर्म को मच्छर, डेंगू, मलेरिया या कोरोना की तरह खत्म करना होगा। तमिलनाडु के खेल और युवा मामलों के मंत्री ने कहा था, “इसका (सनातन धर्म) विरोध करने के बजाय इसे खत्म करना होगा, क्योंकि यह लोगों को जातियों में बांटता है और भेदभाव को बढ़ावा देता है।” उदयनिधिने अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगने से इनकार कर दिया और अपने बयान को सही ठहराते हुए कहा : “मैं यह बात लगातार कहूंगा।”